Tuesday 6 October 2015

The story- छल

छल
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"दीदी मेरी एक सहेली मुसीबत में है। असल में वह एक
धोखे का शिकार हो गई है। आपसे कुछ सलाह-मशवरा
करना चाहती है। आपसे बिना पूछे ही मैंने उसे यहाँ
आने को कह दिया है। मैंने कुछ गलत तो नहीं किया
दीदी ? "
"नहीं अनु, तुमने कुछ गलत नहीं किया है। कब आएगी
वो ? उसके साथ क्या धोखा हुआ है ? उस विषय में
तुम मुझे कुछ बता सकोगी ?"
"हाँ, दीदी .. जो थोड़ा-बहुत मुझे ज्ञात है वह मैं
आपको बता देती हूँ। मेरी उस सहेली का नाम सुरभि
है। उसने मेरे साथ ही इंटर पास किया है। उम्र यही
अठारह साल के आसपास है। वह छह बहनें हैं, भाई एक
भी नहीं है। बहनों में उसका नंबर चौथा है।"
"दो वर्ष पूर्व उसकी सबसे बड़ी बहन पूनम, जो
शादीशुदा थी, की मौत हो गई थी। अभी ढ़ाई
महीने पहले अपने उसी बहन के पति भीष्म से सुरभि
का विवाह हुआ है। सुरभि के दूसरे नंबर की बहन नीलम
की शादी में उसके ये जीजा जी आए थे। नीलम के
विदा हो जाने के बाद वह अपनी पत्नी पूनम को
याद करके बहुत रोये और सुरभि के पिता से अनुरोध
किया कि सुरभि की सूरत मेरी पत्नी पूनम से बहुत
मिलती है। मैं उसे भुला नहीं पाया। मैं पूनम को बहुत
प्यार करता था। मैं सुरभि से शादी करना चाहता
हूँ।"
"सुरभि के पिता तैयार नहीं थे। उनका कहना था
कि सुरभि से बड़ी एक बहन अभी अविवाहित है।
उससे पहले वे सुरभि की शादी नहीं कर सकते। हाँ
सुरभि की बड़ी बहन से शादी करना चाहो तो
विचार किया जा सकता है।"
"लेकिन उसके जीजा भीष्म ने सुरभि की बड़ी बहन
से शादी करने से इन्कार कर दिया और वे सुरभि से
ही शादी करने की जिद्द करने लगे। उन्होंने कहा,
सुरभि की बड़ी बहन की शादी में मैं धन से आपकी
मदद करूँगा, क्योंकि दामाद भी बेटे की तरह ही
होता है। उसके लिए अच्छा मैच भी बताऊँगा। अब मैं
और अकेला नहीं रह सकता। सुरभि से शादी करके अब
अपने साथ ही ले जाऊँगा।"
"सुरभि के पिता ने शादी में आए रिश्तेदारों से
सलाह-मशवरा किया। सभी ने यही सलाह दी कि
जाना-पहचाना लड़का है। जमीन-जायदाद है,
अच्छी नौकरी में है। मौका हाथ से मत जाने दो।
उम्र भी अधिक नहीं है सुरभि से आठ-नौ वर्ष बड़ा
होगा बस। यह शादी करके एक और बेटी की
जिम्मेदारी से निबट जाओगे। सुरभि को भी सभी ने
यही समझाया कि तुम्हारे पिता का स्वास्थ्य
ठीक नहीं रहता । तेरे अतिरिक्त अभी तीन
लड़कियों की शादी और करनी है। पता नहीं कब और
कैसे कर पाएँगे। तू भाग्यशाली है, तुझे तो माँग कर ले
रहा है।"
"पिता ने शादी की स्वीकृति देते हुए दो-तीन
सप्ताह का समय माँगा था ताकि कुछ पैसे का
इंतजाम कर सके किंतु वह नहीं माना। उसने कहा,
"भगवान की कृपा से मेरे पास सब कुछ है। मुझे सुरभि के
अतिरिक्त कुछ नहीं चाहिए। उसने जबर्दस्ती दस
हजार रुपये सुरभि के पिता के हाथ में रख दिये कि
तैयारी में ये रुपये खर्च कर लें।'
"इस तरह दूसरे दिन ही सुरभि की शादी हो गई।
शादी के बाद वह सुरभि को लेकर घूमने चला गया।
बीस-पच्चीस दिन सुरभि के साथ हनीमून मना कर वह
दो दिन के लिए अपनी पोÏस्टग वाली जगह भी
गया फिर सुरभि को यहाँ छोड़ गया। तब से सुरभि
यहीं पर है। उसने पत्र में लिखा था कि उसका
स्थनांतरण होने वाला है। तब लेने आएगा।'
"तो अब समस्या क्या है अनु ?"
"दीदी, अभी सुनने में आया है कि सुरभि से शादी
करने के पन्द्रह दिन पहले भी उसने एक और शादी की
थी। पता नहीं क्यों वह उस पत्नी के साथ एक दिन
भी नहीं रहा और अब उससे तलाक लेने की कोशिश
कर रहा है। यद्यपि यह बात उसने स्वयं न सुरभि को
बताई न उसके घर वालों को।"
तभी अनु की सहेली सुरभि आ गई थी । बहुत उदास
थी। उसकी आखें रो-रोकर सूज गई थीं। मैंने उसे पास
बैठा कर समझाया था कि "परेशान मत हो, हर
समस्या का हल होता है। इसका समाधान जरूर
होगा। मुझे विस्तार से पूरी बात बताओ। तुम्हें यह
कैसे ज्ञात हुआ कि तुम्हारे पति ने तुम से पहले भी एक
शादी की है।"
"मेरे पति आदम पुर में हैं। वह एयरफोर्स में हैं। अभी
चार-पाँच दिन पहले की बात है कि मेरी छोटी बहन,
जो दसवीं कक्षा में पढ़ती है, अपनी एक सहेली से
बात कर रही थी। बातों के दौरान उसने कहा, "मेरी
जीजा जी आदमपुर में रहते हैं।"
मेरी बहन ने कहा, "हमारे जीजा जी भी आदमपुर में
रहते हैं।"
उसने बताया, "वह एयरफोर्स में हैं, उनका नाम भी
भीष्म सिंह है"।'
मेरी बहन ने यह बात घर आकर बताई तो हम
लोग चौंके कि कहीं ये दोनों व्यक्ति एक ही तो
नहीं हैं।"
"मेरे पिता उस लड़की के घर गये। उसके पिता ने
बताया कि मेरी भतीजी की शादी करीब तीन
महीने पूर्व हुई है। उसका पति भीष्म एयरफोर्स में है
और आजकल आदमपुर में है। फोटो देख कर बोले कि हाँ
इसी से मेरी भतीजी की शादी हुई है। शादी के दूसरे
दिन ही उसने मेरी भतीजी को वापस भेज दिया और
अब वह तलाक चाहता है। यह सब समाचार मुझे भाई
के पत्र से ज्ञात हुए हैं। भतीजी की शादी के बाद से
मेरी मुलाकात भाई से नहीं हुई है। अत: डिटेल में मुझे
जानकारी नहीं है। यदि उसी लड़के ने पुन: आपकी
बेटी से भी शादी की है तो यह तो सरासर धोखा
है। सरकारी नौकरी में है। इस धोखाधड़ी के जुर्म में
उसकी नौकरी तो जायेगी ही, उसे जेल भी हो
सकती है। उसे सजा मिलनी चाहिए। मैं अपने भाई
को यहाँ बुलाता हूँ। आप दोनों मिल कर उस पर केस
कर दें तो उसकी तो ऐसी की तैसी हो जाएगी।"
"दीदी, हमारे घर में मातम का सा माहौल है। इधर
ज्ञात हुआ कि मैं माँ बनने वाली हूँ। क्या करूँ, कुछ
भी समझ में नहीं आता। मेरी जिंदगी तो उसने बरबाद
कर दी है। मन होता है आत्महत्या कर लूँ।" वह सुबक-
सुबक कर रोने लगी थी।
मैंने उसे सांत्वना देने का प्रयास किया और पूछा,
"अब तुम और तुम्हारे पिताजी क्या करना चाहते हैं ?'
"पिताजी उस पर कोर्ट केस करना चाहते हैं। उन्होने
वकील से नोटिस भिजवाया है। वह आजकल में आता
ही होगा।"
मैंने सुरभि से कहा, "उसके आने पर हो सके तो एक
बार मेरे पास लेकर आना। पता तो चले कि उसने ऐसा
क्यों किया और अब वह क्या चाहता है। तभी आगे
के विषय में कुछ निर्णय लिया जा सकेगा।"
दूसरे दिन ही सुरभि अपने माता"पिता के साथ मेरे
पास आई थी। उन्हीं से पता चला कि भीष्म सिंह
भी आया हुआ है।
मैंने उनसे पूछा, "वह चाहता क्या है ? और उसने आपके
साथ ये धोखा क्यों किया ?'
"जब से वह आया है बस रो रहा है। कहता है मैंने आपके
साथ कोई धोखा नहीं किया। सुरभि मेरी पत्नी है
और जिंदगी भर मेरे साथ रहेगी। मैं उसे बहुत प्यार
करता हूँ, उसे पूरे सम्मान के साथ रखूँगा।"
पहली शादी के विषय में कहता, "हाँ मैंने वो
शादी की थी। किंतु लड़की वालों ने मेरे साथ
धोखा किया है। उस लड़की के शरीर पर व पैरों पर
सफेद दाग हैं, जो कपड़ों में ढके रहते हैं, ऊपर से दिखाई
नहीं देते। उन्होंने पहले बता दिया होता तो मैं वह
शादी नहीं करता। मैंने उस लड़की को छुआ तक नहीं
है, दूसरे दिन ही वापस भेज दिया दिया था। अब वह
लोग फोन पर धमकी दे रहे हैं कि लड़की को साथ
रखो, वर्ना दहेज के लालच में लड़की को सताने और
वापस भेज देने के जुर्म में सजा कराएँगे। चाहे वे मेरी
जान ले लें, लेकिन मैं उस लड़की के साथ नहीं रह
सकता।"
"उसका कहना है कि सुरभि की बहन नीलम की
शादी में सुरभि को देख कर मुझे अपनी पत्नी पूनम
की याद आ गई और तभी सुरभि से शादी करने का
ख्याल मन में आया और मैंने आपके आगे अपनी इच्छा
जाहिर कर दी। यदि मैं शादी की बात बता देता
तो आप सुरभि की शादी मुझसे नहीं करते। हाँ, ये
मेरी गलती है। आप जो चाहें सजा मुझे दे लें। मुझे मंजूर
होगी।"
सुरभि के पिता ने सब बातें विस्तार से बताते हुए
मुझसे पूछा, "बेटी, अब तुम बताओ, हमें क्या करना
चाहिए।"
मैंने कहा, "अंकल मैं जानना चाहती हूँ कि आप क्या
चाहते हैं ?...उससे समझौता करना चाहते हैं या उसे
सजा दिलाना चाहते हैं ?'
"यों तो भीष्म ने हमारे साथ सरासर धोखा किया
है .. हमारी बेटी की जिंदगी के साथ खिलवाड़
किया है फिर भी हम यदि उस पर मुकदमा दायर करते
हैं तो उस के साथ-साथ हमारी बेटी की जिंदगी भी
बरबाद हो जाएगी। अभी वह इतनी पढ़ी-लिखी
नहीं है कि अपने पैरों पर खड़ी हो सके। साथ ही वह
माँ भी बनने वाली है। हम इतने समृद्ध नहीं हैं कि बेटी
को इतना कुछ दे दें कि वह आसानी से जीवन
निर्वाह कर सके। मैं तो अपनी तीन कुँवारी बेटियों
की ही शादी नहीं कर पा रहा, उसकी दूसरी शादी
कैसे कर पाऊँगा। कोर्ट केस करो भी तो बरसों लग
जाएँगे और पैसा भी पानी की तरह बहेगा, जो हमारे
पास नहीं है। यदि हम केस जीत गये और उसे सजा भी
करा दी तब भी मेरी बेटी की जिंदगी की कोई
समस्या हल नहीं होगी। अभी तो वह माफी माँग
रहा है। मेरी बेटी को अपने साथ रखना चाहता है।
उसकी एक यही विनती है कि पहले पक्ष के साथ
मिलकर हम उसके विरुद्ध खड़े न हों और कोर्ट में ये
गवाही भी न दें कि उसने हमारी बेटी से शादी की
है क्योंकि पहले पक्ष का साथ देने का मतलब उसकी
सजा निश्चित है।"
"अपनी बेटी के हित को ध्यान रख कर हमने भी यही
फैसला किया है कि हम भीष्म के विरुद्ध न जाएँ।
बेटी क्या हम कुछ गलत सोच रहे हैं ?"
"नहीं अंकल, आप जिन परिस्थितियों में हैं उनमें
आपका यह निर्णय गलत नहीं है फिर भी मैं चाहती हूँ
कि आप अपने दामाद भीष्म सिंह से मेरी एक
मुलाकात करा दें।"
सुरभि के माता-पिता के जाते ही मेरी छोटी
बहन अनु मुझ पर बरस पड़ी, "वाह दीदी, आप तो
नारी स्वतंत्रता, नारी न्याय की बड़ी-बड़ी बातें
करती व सोचती हैं। यह तो उस धोखेबाज के सामने
हथियार डालना हुआ। उसके किए की सजा उसे कहाँ
मिली ? उसे तो जेल की सजा होनी चाहिए यदि
आपके साथ या मेरे साथ ऐसा होता, तब भी आप
यही निर्णय लेती ?'
"देखो, अनु कोई भी निर्णय व्यक्ति विशेष की
परिस्थितियों के हिसाब से लिया जाता है। मेरे
साथ यदि ऐसा होता तो मेरा फैसला यह नहीं
होता। मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ, पढ़ी-लिखी हूँ, बोल्ड
हूँ। वैसे भी सुरभि के पिता को मैंने कोई सलाह नहीं
दी है। यह उनका अपना फैसला है किंतु मुझे उनके इस
फैसले में कोई बुराई नजर नहीं आई, बशर्ते भीष्म की
नीयत में खोट न हो।"
शाम को सुरभि भीष्म के साथ आई थी।
आते ही भीष्म ने कहा था, "सुरभि आपको दीदी
कहती है। क्या मैं भी आपको दीदी कह सकता हूँ ?'
"हाँ, क्यों नहीं।"
"दीदी, इस सुरभि को समझाए। आपको तो पता
होगा कि यह माँ बनने वाली हैं किंतु यह इस गर्भ को
समाप्त कर देना चाहती है, कहती है "मुझे तुम जैसे
धोखेबाज के साथ जीवन नहीं बिताना है.. मुझे
अपनी जिंदगी अकेले ही काटनी है... इसके लिए मुझे
आत्मनिर्भर बनना होगा, पढ़ना होगा। यह बच्चा मेरे
पैरों की बेड़ी बन जाएगा।'
"हाँ, दीदी, मैंने कुछ गलत नहीं कहा। वैसे भी बच्चा
पति-पत्नी के प्रेम की निशानी होता है। लेकिन
हमारे विवाह का आधार प्यार नहीं छल है। मैं इस
बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती और न ही इनके
साथ
रहना चाहती हूँ।उस लड़की के परिवार ने इनके साथ
धोखा किया इसलिए इन्होंने उनकी लड़की को
त्याग दिया। इन्होंने मेरे साथ धोखा किया है
इसलिए मैं इनका त्याग करती हूँ। ये मेरी प्रिय बहन के
पति रहे हैं बस, इस नाते इनको अपनी तरफ से यह
सहयोग दे सकती हूँ कि हम इनके खिलाफ कोर्ट में
खड़े नहीं होंगे किंतु दूसरी पार्टी बहुत संपन्न है,
इनको सजा कराके रहेगी। इस धोखेबाज को सजा
मिलनी ही चाहिए।' कह कर सुरभि रोती हुई वहाँ
से उठ कर चली गई।
मेरे पूछने पर भीष्म सिंह ने कहा, "दीदी, मैं कोई
क्रिमिनल नहीं हूँ, जिसका एक के बाद एक शादी
करते जाना शौक हो। हाँ, मैंने एक सच को छिपा कर
बहुत बड़ा अपराध किया है। यद्यपि उसके पीछे भी
मेरा सुरभि के प्रति प्यार ही था। मैं बता देता तो
सुरभि को नहीं पा सकता था। अभी तो यह मुझसे
बहुत नाराज है। यद्यपि इसकी नाराजगी सही है।
अभी मैं जा रहा हूँ, उधर का केस सुलझते ही फिर
आऊँगा। आपसे एक निवेदन है, किसी तरह समझा-
बुझाकर सुरभि को गर्भपात कराने से रोक
लें।...आपका अहसान जीवन भर नहीं भूलूँगा। उसके
माता-पिता ने तो मुझे माफ़ कर दिया है।"
भीष्म सिंह तो वापस लौट गया था। सुरभि को मैंने
समझाया था कि गर्भपात भी हत्या ही है। तुम
बच्चे को जन्म दो, यदि तुम उसे साथ नहीं रखना
चाहोगी तो मेरे भाई-भाभी को दे देना। उनके कोई
संतान नहीं है, वह उसे गोद ले लेंगे।...बहुत समझाने पर
वह मान गई थी, किंतु वह अपने फैसले पर अटल थी कि
भीष्म के साथ नहीं रहेगी।
एक दिन सुरभि ने बताया कि पुलिस ने दहेज के लिए
पत्नी को छोड़ने व सताने के आरोप में भीष्म सिंह
को गिरफ्तार कर लिया है।
इस समाचार के सात-आठ दिन बाद ही एक दिन
अचानक भीष्म सिंह सुबह-सुबह मेरे घर आ पहुँचा,
"दीदी स्टेशन से सीधे आपके पास आ रहा हूँ। सुरभि
या उसके घर वालों को तो मेरे यहाँ आने के विषय में
कुछ नहीं पता है।"
पूछने पर उसने बताया कि पुलिस तो उसे गिरफ्तार
करके ले गई थी। उस लड़की के घर वाले मेरे पीछे पड़े थे,
किंतु उस लड़की ने मुझे मुक्त करा दिया। उसने साफ
कह दिया कि मुझे दहेज के लिए नहीं सताया गया।
मेरे माता-पिता ने एक सच को छिपाया था। मुझसे
तो कहा था कि सफेद दाग होने की बात लड़के को
बता दी गई है, जबकि इनको नहीं बताई गई थी। मुझे
उनसे कोई शिकायत नहीं है। मैं तो शादी करना ही
नहीं चाहती थी, क्योंकि मैं जानती थी कि उसका
अंत ऐसा ही कुछ होगा।
"आपसी सहमति से हमारा तलाक हो गया है।...यहाँ
सुरभि के माता-पिता तो मुझे माफ कर चुके हैं किंतु
सुरभि मुझसे नफरत करती है।'
बहुत-सी बातें वह मुझसे करता रहा फिर सुरभि के घर
चला गया। शाम को वह पुन: आया था।.. बहुत
निराश दिख रहा था। उसने बताया "माता-पिता
के समझाने का भी सुरभि पर कोई असर नहीं हो
रहा। कहती है, "जबर्दस्ती इनके साथ भेजोगे तो
आत्महत्या कर लूँगी।'
सोचता हूँ आज वापस लौट जाऊँ।'
थोड़ी देर बाद सुरभि को उसके माता-पिता मेरे
पास ले कर आये थे। सुरभि के एक बार फिर धोखेबाज
कहने पर भीष्म सिंह तड़प उठा था।
"इतने दिन से मैं छल और कपट के आरोप सुने जा रहा
हूँ। छल मेरे साथ भी किया गया था किंतु मैंने आज
तक वह बात कभी नहीं कही।'
"उस परिवार के अतिरिक्त भी आपसे किसी ने छल
किया था ?... किसने दिया था आपको धोखा ?"
सुरभि ने पूछा था।
"तुम्हारे मम्मी-पापा ने भी मेरे साथ धोखा किया
था।"
"मैं नहीं मान सकती। उन्होंने तुम्हारे साथ क्या
छल किया है ?"
"यदि तुम्हारे मम्मी-पापा ने अपनी गलती
स्वीकार कर ली तो क्या तुम मुझे क्षमा कर
दोगी ?.. मैं तुम्हें बता तो रहा हूँ किंतु तुम यह कभी
मत सोचना कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता या तुम्हारे
माता-पिता के छल का बदला लेने के लिए मैंने तुम से
छल किया है। सच मानों, मैं तुम्हें दिल से प्यार करता
हूँ। किसी बदले की भावना से मैंने ये शादी नहीं की
है।"
सब भौंचक्के हो कर भीष्म को देख रहे थे।
बेटे, तुम किस छल की बात कर रहे हो ?...हमारी कुछ
समझ में नहीं आ रहा।"
"पापा मैं अभी बताता हूँ, आपकी बड़ी बेटी यानी
मेरी पत्नी पूनम को हार्ट डिजीज थी। डॉक्टर ने
उसकी शादी न करने की सलाह भी आपको अवश्य
दी होगी। लेकिन इस सच्चाई को मुझसे छिपा कर
आपने उसकी शादी मुझसे कर दी। क्या मैं गलत कह
रहा हूँ ? '
पापा की नजरें झुक गई थीं, "हाँ बेटे, हार्ट प्राब्लम
तो उसको थी किंतु उसकी शादी न करने की सलाह
डॉक्टर ने हमें नहीं दी थी।"
"किंतु पापा आपने हार्ट प्राब्लम होने वाली बात
भी हमें नहीं बताई थी। एक तरह से क्या ये छल नहीं
है ? ...पहली प्रेगनेन्सी में डिलीवरी के दौरान पूनम
की मौत हो गई। हमारी डॉक्टर ने बताया था कि
ऐसे केसेज में हम लड़की की शादी न करने की सलाह
देते हैं क्योकि मातृत्व की पीड़ा उसके लिए
जानलेवा बन सकती है।"
सुरभि के माता-पिता मौन थे ।
"अब मुझे कुछ नहीं कहना है। मैं "सवेरा" होटल में
ठहरा हूँ। सुरभि, तुम्हारे पास सोचने के लिए रात भर
का समय है यदि तुमने मुझे माफ कर दिया है तो सुबह
सात बजे तक मुझे खबर भिजवा देना, मैं तुम्हें लेने आ
जाऊँगा, वर्ना सुबह की ट्रेन से वापस लौट
जाऊँगा।'
सुरभि ने जाते हुए भीष्म का हाथ पकड़ कर उसे रोक
लिया था -- "रुक जाओ, मैंने निर्णय ले लिया है.. मै
तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ।"

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