मुआवजा
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बेबसी,लाचारी,गरीबी,बीमारी
उसके घर के जैसे चार कोने हो गए थे , जिनसे उसका घर बना था |
वह परेशान तो था ही अब मजबूर भी हो
चुका था | एक तरफ घर के सदस्यों की संख्या और
उसी के अनुपात में बढ़ती भूख और जरूरतों
|वह शहर से जो कुछ थोड़ा बहुत मजदूरी करके
कमा कर लाया था , गाँव में आते ही जैसे वे रूपए
उसकी जरूरतों के आगे बौने हो गए | उसके गाँव में
बड़ी तेजी से महामारी
फैली | उसके गाँव को 'सबसे ज्यादा संक्रमित
महामारी से संक्रमित गाँव' घोषित किया गया | उसने
अखबार तो नहीं पढ़ा पर उसने सुना कि उसके गाँव को
लेकर पूरे देश में हमदर्दी का माहौल है | पूरे देश से
राहत आ रही है |
'राहत आ रही है पर कहाँ?' उसने सोचा और अपने
चारों ओर पल भर नजर दौड़ाई 'यहाँ तो बेबसी,
लाचारी का माहौल बढ़ता जा रहा है |
बीमारी के कारण हर घर लाशों का कारखाना
बन गया है |चारों ओर लोग विलाप कर रहे है |'
वह थोड़ा बहुत पढ़ा लिखा था सो उसे जानकारी हुई कि
उसके गाँव के बाहर एक कैंप लगा है | सरकारी
स्वास्थ विभाग की ओर से जहाँ मुफ्त दवाइयाँ
बाटीजा रही है |वह भी चल
दिया भीड़ के साथ |
'अरे वहीं खड़े रहो ,सबको दवाइयाँ मिल
जाएगी|'
'पर आप हमारे गाँव तो आइए - बिना देखे दवाई कैसे ?'
'कौन जाएगा जान बूझ के मौत के मुँह में |'
'साहब और दवाई दे दो |'
'अरे दवाई है या खाना - जा यहाँ से - बाद में तो मरना ही
है |'
'परिवार बड़ा है साहब - |'
'तो कुछ दिनों में छोटा भी हो जाएगा - हीं -
हीं -|'
वह वहाँ के वातावरण में सहानभूति और उपचार पाने आया था पर
वहाँ फूहड़ शब्दों के तीरो से मरे को और
भी मारा जा रहा था | उसे लगा लोग महामारी
से नहीं बल्कि यहाँ के अपमान से मर रहे है |फिर
कुछ दिन बाद उसने सुना कि देश के स्वतंत्रता दिवस के
उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री ने मुआवजे की
घोषणा की है | जिसके परिवार के सभी
सदस्य मर गए है और कोई एक बचा है,उन्हें मुआवजा मिल रहा
है | उसे लगा की वह
बीमारी से तो लड़ न सका शायद घर
की भूख से लड़ सके |वह रोगी है ,
अपने घर के कई सदस्यों को उसने अपने समाने दम तोड़ते देखा |ले
दे कर घर में दो छोटे बच्चे रह गए है ,जिन पर से
उनकी माँ का साया उठ चुका है और बाप मरने
की कगार पर है | उसे आस थी
की शायद मुआवजे के रुपयों से उसके बच्चे भूख के
दानव से बच जाएगे | पर कहाँ मिल रहा है मुआवजा ?वहाँ तो
अपनों की लाशों का सबूत मांगा जा रहा है | उन्हे
चेहरो की बेबसी
नहीं दिखती ,उन्हें लाशों का ब्योरा चाहिए |
'वे बीमारी से मरे या उन्हें मरना
ही था |'
'क्या वाकई वो तुम्हारा बाप था या माँ थी या बच्चे थे ?'
सबूत दो |
उसने देखा की कुछ और लिखी रकम पर
अँगूठा लगवा कर कुछ और ही रकम पकड़ा रहे थे |
कोई हँस रहा था , कोई कोहनी मार
कनखनी से झाँकता बची रकम पर
लार टपका रहा था |अब उसमे ये सहने की न
शारीरिक शक्ति थी और न मानसिक | वह
वापस लौट गया |वह कब मरा ,कैसे मरा कोई नहीं
जानता...उसने मरते समय हवाओं में लिखा ' कि वह बच गया
मुआवजे के कलंकित जीवन से..|
Wednesday 21 October 2015
The story- मुआवजा
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