नेपियर से जिस्बॉर्न का रेलवे ट्रैक अनूठा है, क्योंकि यह जिस्बॉर्न हवाई अड्डे के मुख्य रनवे से होकर गुजरता है। ट्रेनों को इस रनवे पर बनी पटरी से गुजरने से पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम से अनुमति लेनी होती है। फोटो में हवाई अड्डे के रनवे के बीच से 1939 स्टीम ट्रेन गुजरती दिख रही है।
रेलवे ट्रैक पर बना हुआ थाईलैंड का मैकलॉन्ग मार्केट किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इस मार्केट में पटरियों पर लोग दुकानें लगाकर सामान बेचते हैं और जैसे ही ट्रेन आती है सभी अपना सामान समेट लेते हैं। ट्रेन के गुजर जाने के बाद यह मार्केट फिर से सज जाता है। ऐसा दिन में कई बार होता है। यहां के व्यापारी रेलवे पटरी पर सब्जियां मछली, अंडे और अन्य सामान बेचने का काम करते हैं।
ट्रांस-साइबेरियन रेलवे, रूस
रेलवे ट्रैक पर बना हुआ थाईलैंड का मैकलॉन्ग मार्केट किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इस मार्केट में पटरियों पर लोग दुकानें लगाकर सामान बेचते हैं और जैसे ही ट्रेन आती है सभी अपना सामान समेट लेते हैं। ट्रेन के गुजर जाने के बाद यह मार्केट फिर से सज जाता है। ऐसा दिन में कई बार होता है। यहां के व्यापारी रेलवे पटरी पर सब्जियां मछली, अंडे और अन्य सामान बेचने का काम करते हैं।
ट्रेन ए लास न्यूब्स (अर्जेंटीना)
ट्रेन ए लास न्यूब्स एक पर्यटक ट्रेन है, जो साल्ट प्रोविन्स, अर्जेंटीना में अपनी सर्विस देती है। यह सर्विस फेरोकेरिल जनरल मैनुअल बेलग्रोन के सी-14 लाइन पर दी जाती है। यह ट्रेन जिस ब्रिज से होकर गुजरती है वह 4220 मीटर (13,850 फीट) ऊपर बना है। इसे दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा रेलवे ट्रैक कहा जाता है। अब यह एक विरासत के रूप में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इस रेलवे लाइन पर 29 ब्रिज, 21 टनल, 13 पुल, 2 स्पाइरल और 2 जिगजैग है।
ट्रांस-साइबेरियन रेलवे, रूस
ट्रांस-साइबेरियन रेलवे ट्रैक मास्को से लेकर रूस और जापान के समुद्र को जोड़ता है। इसे दुनिया की सबसे लंबी रेलवे लाइन कहा जाता है। यह लाइन मंगोलिया, चीन और उत्तर कोरिया की लाइनों से भी जुड़ा है। इसे 1916 में मास्को को व्लादिवोस्तोक से जोड़ा गया था और अभी भी इसका विस्तार हो रहा है। साइबेरियन रेलवे लाइन का निर्माण 1891 में शुरू हुआ था।
स्विट्जरलैंड का लैंड वासर विडक्ट ट्रैक रेलवे ब्रिज लैंड वासर नदी पर बना है, जो अब एक विश्व धरोहर है। इसकी सबसे खास बात यह है कि ट्रेन ब्रिज के बाद सीधे टनल (सुरंग) में प्रवेश कर जाती है। एक ओर गहराई तो दूसरी ओर घुप्प अंधेरे से भरा यह सफर 63 किलोमीटर का है। आर्किटेक्ट्स की अनोखी मिसाल मानी जाने वाली इस ब्रिज में 6 कर्व (घुमाव) हैं, जो सफर को रोमांचक बना देते हैं। ट्रेन जब ब्रिज से होकर गुजरती है तो इस दौरान एक ओर गहरी नदी तो दूसरी ओर पहाड़ी दिखाई देती है। 213 फीट ऊंची और 446 फीट लंबे इस ब्रिज का निर्माण 102 साल पहले 1902 में हुआ था। स्विट्जरलैंड के शहर श्चिमटन से फिलिसुर को जोड़ने वाले इस ब्रिज को अलेक्जेंडर अकाटोस ने डिजाइन किया था। वहीं, रहेतिअन रेलवे के लिए इस ब्रिज को मूलर और जिरलेडर की देख-रेख में बनाया गया था।
जॉर्जटाउन लूप रेलरोड (यूएसए)
कोलोराडो का जॉर्जटाउन लूप रेलरोड यहां आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। इस ट्रैक का निर्माण कार्य 1884 में पूरा कर लिया गया था। जॉर्ज टाउन और सिल्वर प्लम कस्बों की संर्कीण पहाड़ियों से होकर यह ट्रैक गुजरता है। इन दोनों जगहों को कनेक्ट करने के लिए ट्रैक की ऊंचाई 600 फीट है। इस ट्रैक पर चार पुल है, जिसमें से एक पुलडेविल गेट हाई ब्रिज कहलाता है। कोलोराडो और दक्षिण रेलवे की इस लाइन का उपयोग 1899-1938 के दौरान यात्रियों और माल ढुलाई के लिए किया जाता था। 1973 में कोलोराडो ऐतिहासिक सोसायटी ने 978 एकड़ जॉर्जटाउन लूप को हिस्टोरिक माइनिंग और रेल पार्क के हिस्से के रूप में रिस्टोर किया गया। 1984 में इस पुल की 100वीं वर्षगांठ मनाई गई थी।
द डेथ रेलवे (थाईलैंड)
द बर्मा रेलवे ट्रैक को डेथ रेलवे भी कहा जाता है। यह बैंकॉक, थाईलैंड और रंगून, बर्मा के बीच 415 किलोमीटर (258 मील) का ट्रैक है। इस रेलवे ट्रैक को बनाते समय 90,000 से अधिक कर्मचारियों और 16,000 एलाइड कैदियों की पुल निर्माण के दौरान नदी में गिर जाने से मौत हो गई थी। अब यह रूट काफी पॉपुलर है और लोग यहां का सफर एन्जॉय करते हैं।
गेओनग्वा स्टेशन (दक्षिण कोरिया)
दक्षिण कोरिया के जीनहे क्षेत्र में 340,000 चेरी के पेड़ हैं। यहां के पेड़ों से फूल गिरते हैं और जमीन पर बिछ जाते हैं। गेओनग्वा स्टेशन भी इसी क्षेत्र में हैं और यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
टनल ऑफ लव (यूक्रेन)
यूक्रेन का टनल ऑफ लव एक ऐसी जगह है जिसकी एक झलक पाने के बाद कोई भी कपल वहां जाने के बारे में जरूर सोचेगा। टनल ऑफ लव यूक्रेन के क्लेवान शहर से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह 3 किलोमीटर के दायरे में फैला प्राइवेट रेलवे ट्रैक है जो पेड़ों से इस कदर ढका हुआ है कि ये पूरे रास्ते को ग्रीन टनल का रूप देते हैं। बता दें कि यह ट्रैक एक फायर बोर्ड फैक्ट्री का है। एक ट्रेन दिन में 3 बार उस फैक्ट्री को वुड सप्लाई करती है, बाकी टाइम ये ट्रैक कपल्स और नेचर लविंग लोगों के काम आता है। वहीं, ये टनल साल में 3 बार अपना रंग बदलती है। जब बसंत आता है ये टनल पूरी हरी हो जाती है और गर्मियों में ये टनल हल्की भूरी हो जाती है, जबकि सर्दियों के मौसम में ये टनल सफेद बर्फ की चादर ओढ़ लती है।
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